पंदेरा....यानि का पानी का प्राकृतिक स्रोत। उत्तराखंड में हर गांव ऐसे स्थान पर बसा है जहां पर पानी का प्राकृतिक स्रोत यानि पंदेरा हो। यह अलग बात है कि समय के साथ कई स्थानों पर पानी के ये प्राकृतिक स्रोत सूख गये हैं या उनमें बहुत कम पानी आने लगा है। इसका एक कारण वनों का कटाव भी है। पंदेरा, पंद्यर, पनेरा, पंदेरू या पंद्यारू कभी गांव की महिलाओं का मिलन स्थल हुआ करता था। घर की घटनाओं और मन की बात का गवाह होता था पंदेरा। गर्मियों में ठंडा शीतल जल और सर्दियों में गुनगुना पानी देता है पंदेरा। आपने गढ़वाल की आवाज महान गायक नरेंद्र सिंह नेगी का गीत सुना होगा, ''छुयुं मा मिसे गिन पंदेरों में पंदेरी .....''। सरकारों ने पिछले कई वर्षों से गांव गांव में पानी पहुंचाने की भी कोशिश की। घरों के आसपास नल लगे लेकिन पंदेरा की फिर भी बादशाहत बनी रही। पलायन ने जरूर उसे अपनी सखी सहेलियों से बहुत दूर कर दिया। जिस पंदेरा में कभी भीड़ लगी रहती थी, जहां लोग अपनी बारी का इंतजार करते थे आज वहां सन्नाटा छाया रहता है।
पंदेरा हमारे पहाड़ी गांवों को जीवनदायिनी जल ही नहीं देता है बल्कि जब स्वास्थ्यप्रद पेयजल की बात आती तो पहाड़ी पंदेरा या पहाड़ के प्राकृतिक स्रोतों का पानी सर्वश्रेष्ठ विकल्प माना जाता है। दुनिया के अधिकतर लोगों को यह पानी नसीब नहीं होता लेकिन कि हम पहाड़ी उसी पानी को दुत्कार रहे हैं। सामने झरना बह रहा है लेकिन हमें बोतलबंद पानी पीने का शौक चर्राया है। पहाड़ों में बोतलबंद पानी .... यह सुनकर ही अजीब लगता है। मेरी तो आपको यही राय है कि बोतलबंद पानी फेंकिये और पंदेरा का पानी पीजिए। यह आपके तन और मन में नयी ऊर्जा भरेगा जो बोतलबंद पानी कभी नहीं कर सकता।
पंदेरा के पानी के कई प्राकृतिक लाभ हैं। इसे 'लिविंग वाटर' यानि 'क्रियाशील जल' कहा जाता है। क्रियाशील इसलिए क्योंकि यह मानव शरीर के लिये जरूरी महत्वपूर्ण ऊर्जा से भरा होता है। इसलिए जब आप पंदेरा का पानी पीते हो तो यह आपके शरीर में ऊर्जा भरता है। बहने वाला पानी क्रियाशील जल होता है लेकिन जो तुरंत स्रोत से निकला हो वह पानी गुणों से भरपूर माना जाता है जो कई वर्षों से भूमिगत जल के रूप में जमा रहता है। इसमें खनिज लवण पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं। यह बेहद स्वच्छ, स्वास्थ्यवर्धक और प्रदूषकों से मुक्त होता है। पंदेरा के पानी का स्वाद अद्भुत होता है जिसका किसी अन्य तरह के पानी से तुलना ही नहीं की जा सकती है। विश्व की अधिकतर नदियां पहाड़ों से निकलती हैं लेकिन आगे बढ़ने के साथ इनमें कई प्रदूषक तत्व मिल जाते हैं। प्राकृतिक जल स्रोत से निकला पानी बोतल में बंद मिनरल वाटर और नल के पानी से कई गुणा उपयोगी होता है।
पंदेरा में पानी में प्राकृतिक खनिजों का बहुत अच्छा संयोजन होता है जैसे मैग्निसियम, कैल्सियम, पोटेशियम और सोडियम जो आपके स्वास्थ्य के लिये बेहद जरूरी होते हैं। कई कंपनियां इसका फायदा उठाकर प्राकृतिक स्रोतों का पानी बेच रही हैं लेकिन कई दिनों तक बोतल में बंद रखने के लिये उसमें कुछ रसायन मिलाये जाते हैं जिससे इसके कई मूल गुण समाप्त हो जाते हैं।
पंदेरा का पानी पीने से आप तरोताजा महसूस करते हैं, लेकिन इसके कई अन्य फायदे भी हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि पहाड़ी प्राकृतिक जल स्रोतों का पानी किसी व्यक्ति के वजन को उसके शरीर के अनुसार बनाये रखने में अहम भूमिका निभाता है। अगर आपको अपना वजन बढ़ाना है या घटाना है तो फिर प्राकृतिक जल स्रोतों का शुद्ध पानी पीजिये और कुछ दिनों में आपको फर्क नजर आने लगेगा। पंदेरा का पानी पीने से आपकी त्वचा भी चमकदार बनती है। मैं जब पहाड़ में अपने गांव जाता हूं तो अद्भुत तरीके से मेरी पाचन शक्ति बढ़ जाती है और भूख लगती है। असल में यह वहां के पानी का कमाल है। अध्ययनों से पता चला है कि प्राकृतिक स्रोतों का पानी आपकी पाचन शक्ति और मेटाबोलिज्म यानि उपापचय को बढ़ाता है। यह पोषक तत्वों को पचाने में मदद करता है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि प्राकृतिक स्रोतों का पानी जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द को कम करने में मददगार होता है। यह रक्तसंचार को सुधारने में योगदान देता है। पंदेरा का पानी शरीर में मौजूद विषैले तत्वों बाहर निकालने यानि डिटॉक्सीफिकेशन में प्राकृतिक रूप से मदद करता है।
अब आपको पता चल गया होगा कि गुणों की खान है पंदेरा का पानी। पहाड़ियों के स्वस्थ रहने का राज है पंदेरा का पानी। इसलिए पहाड़ में केवल पंदेरा या प्राकृतिक जल स्रोतों का ही पानी पीना।
तो कैसे लगी आपको पंदेरा के पानी की यह कहानी अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें। आपका धर्मेन्द्र पंत
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पंदेरा के विषय में एक जरुरी पोस्ट की है आपने। लेकिन आज गांव में लोगों ने घर-घर नल लगा लिए हैं और पीने का पानी जिन टंकियों से आता है उसकी साफ़-सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जो बहुत ही हानिकारक है, काश! कि इसके प्रति जल्दी जागरूक हो जाएँ हमारे लोग
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा। पानी जहां पर ठहरता वह स्थान कैसा है यह काफी मायने रखता है। टंकी में जमा पानी सीधे स्रोत से निकले पानी की तरह शुद्ध और गुणों से भरपूर नहीं हो सकता है। उम्मीद है कि समय के साथ लोग पंदेरा की अहमियत समझेंगे।
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