रविवार, 11 नवंबर 2018

गुणों की खान है मीठा करेला (परमला, ककोड़ा)


           क्या आपको मीठा करेला की सब्जी पसंद है? अगर हां तो बहुत अच्छी बात है और अगर नहीं तो फिर मीठा करेला खाना शुरू कर दें। अगस्त से लेकर नवंबर तक पहाड़ों में कई अन्य तरकारियों की तरह बेल पर लगने वाला मीठा करेला वास्तव में गुणों की खान है। मीठा करेला को उत्तराखंड में कई नामों से जाना जाता है। इसे राम करेला भी कहते हैं। कहते हैं कि भगवान राम ने वनवास के दौरान इसकी सब्जी खायी थी। उन्हें यह बहुत पसंद था और इस कारण मीठा करेला को राम करेला भी कहते हैं। यह भी कहा जाता है कि यह कई बीमारियों में उपयोगी है और इसलिए इसका नाम राम करेला पड़ा।
        मीठा करेला को उत्तराखंड में कई नामों से जाना जाता है जैसे परमला, परबल, परमल, परला, मीठा करेला, राम करेला, गुजकरेला, गुजकरेल, ककोड़ा, काकोड़े, किंकोड़ा, घुनगड़ी, केकुरा आदि। नेपाल में इसे बडेला कहा जाता है। रामकरेला मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिकी देशों की सब्जी है, लेकिन वहां इसका आकार थोड़ा बड़ा होता है। यह दक्षिण अमेरिका में एंडीज वाले इलाकों यानि पहाड़ी क्षेत्रों में ही पाया जाता है। वहां स्थानीय भाषाओं में इसे काइवा, अचोचा और पेपिनो कहते हैं। Caihua (Caigua), achuqcha और pepino. इसे slipper gourd, lady's slipper, sparrow gourd और stuffing cucumber भी कहा जाता है। देखा आपने आज जिसे परमला, कंकोड़ा या मीठा करेला कहते हैं असल में उसके ढेरों नाम हैं। इसका वानस्पतिक नाम साइक्लेन्थेरा पेडाटा (Cyclanthera pedata (L.) Schrad) है। मीठा करेला में हल्के कांटे से होते हैं और बचपन में हम इस पर दियासलाई या छोटी लकड़ी से पैर लगाकर खेला भी करते थे।

        मेरे यहां इसे परमला कहते हैं लेकिन मैं मीठा करेला कहकर ही अपनी बात आगे बढ़ाऊंगा। मीठा करेला पर जो शोध किये गये उनसे पता चलता है कि इसको खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है क्योंकि इसमें एंटी आक्सीडेंट और खून को साफ करने वाले तत्व होते हैं। इसमें पर्याप्त मात्रा में आयरन होता है। इसके अलावा मीठा करेला में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर आदि भी पाये जाते हैं। 
       मीठा करेला के नाम के साथ करेला जरूर जुड़ा है लेकिन यह कड़वा नहीं बल्कि मीठा होता है। जब छोटा या यूं कहें कि नया होता है तो उसे कच्चा भी खाया जा सकता है लेकिन समय के साथ इसके अंदर काले रंग के बीज बन जाते हैं जिन्हें बाहर निकालकर इसकी सब्जी बनायी जाती है। इसको कच्चा खाने पर कुछ हद तक ककड़ी जैसा स्वाद ही आता है। सबसे अहम बात यह है कि मीठा करेला पर कीट और बीमारियों का प्रकोप नहीं होता है। इसलिए  बीज निकालकर इसे सुखा दिया जाता है जिन्हें पहाड़ी भाषाओं में सुग्सा या सुगुसु कहते हैं। इन सुक्सा को सुरक्षित रखकर अगले कुछ महीनों तक सब्जी बनायी जा सकती है।
    अब तो आप मना नहीं करोगे न मीठा करेला की सब्जी खाने से। खाना जरूर स्वादिष्ट होती है इसकी सब्जी। आपका धर्मेन्द्र पंत 

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