गुरुवार, 2 जून 2016

कौसानी : प्रकृति की गोद में सुकून के पल

                                                       यात्रा वृतांत : मोना पार्थसारथी 

कौसानी की शान है अनासक्ति आश्रम, जहां महात्मा गांधी ने कुछ दिन बिताये थे। सभी फोटो सौजन्य : मोना पार्थसारथी। 
        सुमित्रानंदन पंत की कविताओं और गांधी आश्रम की वजह से कौसानी अल्मोड़ा के बारे में यूं तो बचपन से सुन रखा था लेकिन वहां जाने का मौका अब जाकर मिला। चार दिन की छुटटी मिली और हमने : मैं, पार्थ और सिद्वांत : पुरानी दिल्ली से रात को रानीखेत एक्सप्रेस पकड ली। सुबह पांच बजे काठगोदाम उतरे और सीधे कौसानी के लिये टैक्सी ली। बीच में कैंची धाम स्थित नीब करौरी बाबा के आश्रम कुछ समय बिताते हुए करीब पांच घंटे में कौसानी पहुंचे जहां वन विभाग के विश्राम घर में पहले ही से बुकिंग थी। यूं तो तीनों दिन वहीं रूकना तय था लेकिन शाम को अनासक्ति आश्रम या गांधी आश्रम जाने के बाद इरादा बदल दिया और अगले दिन आश्रम रहने चले गए। लक्जरी तलाशने वालों को आश्रम में रहना शायद पसंद नहीं आये लेकिन वहां एक दिन के प्रवास ने जो यादों की धरोहर दी, उसे ताउम्र भुलाना मुश्किल होगा। चाहे शाम को होने वाली प्रार्थना हो या आश्रम का सादा भोजन या वहां व्यवस्था संभालने वाले उम्रदराज लेकिन काम के मामले में युवाओं को शर्मिंदा करने वाले गांधीवादी, सब कुछ अनूठा था। मूसलाधार बारिश के बीच सामने हिमालय की वादियों को निहारते हुए 'रघुपति राघव राजा राम' या 'वैष्णव जन तो तेणे कहिये' के सामूहिक गान की अनुभूति का शब्दों में बखान नहीं किया जा सकता। उसे सिर्फ महसूस ​ही किया जा सकता है।
     आश्रम में भोजन बिना प्याज लहसुन का और एकदम नाममात्र के दाम पर उपलब्ध है। कमरों का किराया (400 से 600 रूपये) भी बहुत कम है लेकिन टीवी, पंखा, गीजर जैसी सुविधायें तलाशेंगे तो आपको निराशा होगी। मैं इतना ही कहूंगी कि हर माता पिता को अपने बच्चों को लेकर एक बार इस आश्रम में जरूर रूकना चाहिये। कौसानी से लगभग 17 किलोमीटर दूर बैजनाथ मंदिर भी प्रकृति की गोद में नदी किनारे बसा बेहद सुरम्य स्थान है। आप कौसानी से टैक्सी करके एक दिन में बैजनाथ, चाय के बागान और शाल फैक्टी देख सकते हैं। चाय बागान के पास लवली रेस्त्रां में आप ठेठ कुमाउंनी खाने मसलन मडुंआ (कोदा) की रोटी, भट की दाल, आलू के गुटके, झोली(कढ़ी) आदि का लुत्फ उठा सकते हैं। यहां से कौसानी की मशहूर चाय खरीदी जा सकती है। बैजनाथ के रास्ते में एक बात जो मुझे बहुत अखरी, वह कभी गाइड बनने या पहाडी गाने सुनाने की मनुहार करती गाडियों के पीछे भागती छोटी छोटी बच्चियां। ड्राइवर ने बताया कि यहां बेरोजगारी और शराबखोरी इतनी है कि बच्चों को भी ऐसे काम करने पड़ते हैं। अगले दिन सुबह सूर्योदय से ही आश्रम में चहल पहल थी चूंकि मौसम साफ होने से सामने हिमालय दर्शन का मौका कोई नहीं छोड़ना चाहता था। धवल हिमराज पर सूरज की रक्ताभ किरणें मानो चांदी पर सोना उड़ेल रही थी और इसे कैमरों में कैद करने की होड़ लगी थी। स्विटजरलैंड तो मैं कभी गई नहीं लेकिन अगर गांधीजी ने इसे मिनी स्विटजरलैंड कहा तो गलत नहीं कहा था।


कौसानी और बैजनाथ : प्रकृति की अद्भुत देन के साथ खुद में इतिहास भी समेटे हुए हैं। 

      आश्रम में सबसे विदा लेकर हम अगले गंतव्य जागेश्वर को रवाना हुए। अल्मोड़ा से करीब 40 किलोमीटर आगे चीड के जंगलों के बीच अलौकिक प्राकृतिक सौंदर्य की छटा बिखेेरे जागेश्वर के प्राचीन मंदिर में असंख्य शिवलिंग हैं। मंदिर में दर्शन के बाद भी अल्मोड़ा लौटे जहां शिखर होटल में ठहरना था। शहर के बीच माल रोड पर स्थित यह शहर का सबसे सुविधाजनक और बेहतरीन होटल है जिसमें आपको हर तरह के कमरे मिल जायेंगे। अगर आप अल्मोड़ा जाने की सोच रहे हैं तो मैं यही सलाह दूंगी कि इसी होटल में रूकें।
      अल्मोड़ा घना बसा हुआ शहर है और आपको यहां हिल स्टेशन जैसा अहसास नहीं होगा। यहां कौसानी की तुलना में काफी गर्मी भी थी। शहर के दूसरे छोर यानी ब्राइट एंड पर रामकृष्ण कुटीर से सूर्यास्त का अनुपम दृश्य देखा जा सकता है। इसके अलावा आप नंदादेवी के मंदिर के दर्शन कीजिये और भीमसिंह मोहनसिंह रौतेला की मशहूर बाल मिठाई और सिंगोडी का मजा लीजिये। अल्मोड़ा से लौटते समय कैंची धाम जरूर रूकें जहां आश्रम देखने के साथ ही बाहर से ताजे फल खरीद सकते हैं। इसके अलावा यहां मारूति रेस्त्रां में सादे लेकिन बेहद स्वादिष्ट शाकाहारी खाने का आनंद लिया जा सकता है।


      त्तराखंड और हिमाचल के अनेकानेक पर्यटन स्थलों पर घूमने के बाद मैं इतना ही कहूंगी कि अगर आप भीडभाड से परे प्रकृति के बीच आप सुकून के पल बिताना चाहते हैं तो कौसानी आपके लिये उत्तम जगह है। यहां कोई इटिंग ज्वाइंटस या पाइंट टू पाइंट टूरिस्ट आकर्षण नहीं है लेकिन अपार शांति है। सादगी में सौंदर्य है। कौसानी प्रवास के दौरान ड्राइवर मंगल सिंह : मोबाइल नंबर 09410047723 : का खास तौर पर जिक्र करना चाहूंगी जिसने पर्यटक समझकर लूटने की बजाय बेहद मुनासिब दाम लिये लिहाजा अगर आप जाना चाहे तो उसे फोन करने पर वह काठगोदाम स्टेशन आपको लेने आ जायेगा।

© ghaseri.blogspot.in 

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर यात्रा वृतांत. इस लेख में जिस नीब करौरी बाबा आश्रम का उल्लेख है उसके बारे में कहा जाता है कि वहाँ एपल के को-फाउंडर स्टीव जाब्स भी गए थे.

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  2. बहुत सुंदर । मोना तुमने पुरानी यादें ताजा कर दीं ।

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