... जितेंद्र मोहन पंत ...
नंदा देवी त्वसे विनती च मेरी
आज शरणम अयूं छौं मी तेरी
मेरी मनोकामना पूरी कैरी
नंदा देवी त्वेसे विनती च मेरी।
आज शरणम अयूं छौं मी तेरी
मेरी मनोकामना पूरी कैरी
नंदा देवी त्वेसे विनती च मेरी।
भारत का लोग मां जागरूक ह्वेन
मिलिकै देश थै एैथर बढ़ैन
इनु मंत्र मां आज यूं फर फेरी
नंदा देवी त्वेसे विनती च मेरी।
मिलिकै देश थै एैथर बढ़ैन
इनु मंत्र मां आज यूं फर फेरी
नंदा देवी त्वेसे विनती च मेरी।
जात पांत हमसे दूर मां रावू
हिन्दू . मुस्लिम थै भाई बणावू
सबु की जात मां भारतीय कैरी
नंदा देवी त्वेसे विनती च मेरी।
हिन्दू . मुस्लिम थै भाई बणावू
सबु की जात मां भारतीय कैरी
नंदा देवी त्वेसे विनती च मेरी।
भेदभाव थै मां जड़ से मिटै दे
विकास का बीज मां देश म ब्वे दे
तू इतनी कृपा मां हम पर कैरी
नंदा देवी त्वेसे विनती च मेरी।
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कवि का परिचय
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जितेंद्र मोहन पंत। जन्म 31 दिसंबर 1961 को गढ़वाल के स्योली गांव में। राजकीय महाविद्यालय चौबट्टाखाल से स्नातक। इसी दौरान 1978 से 1982 तक पहाड़ और वहां के जीवन पर कई कविताएं लिखी। यह विनती भी सत्तर के दशक के आखिरी दौर में लिखी थी। बाद में सेना के शिक्षा विभाग कार्यरत रहे। 11 मई 1999 को 37 साल की उम्र में निधन।
Great...wow !!!RIP chachu
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