प्रस्तुतिकरण : भीष्म कुकरेती
अरे आवजी आवजी
कथु उपजोगी चार
खाने चार बान
कथु उपजोगे बलं
कथु उपजोगे पंच
शब्द कथं उपजोगे
ढोलँ।। ईश्वरोवाच ।। अरे
गुनीजन सतयुग उपजोगी चार
खाने चार बाने
आरम्भयुग उपजोगी ढोलम गुरुमुख
उपजिगो पंचशब्द बारा जग
उपजिगो ढोलम ।।
पार्वत्युवाच ।। ऊँ
प्रथम कनिकत्र राजा
इंद्र को उदीम
दास ढोली अमृतं
को ढोलँ अब
क्या सुने शब्द
तहाँ नामिक नमोनम:
इति युग को
ढोल बजयिते। द्वापर
युग मधे मानदाता
राजा मानदाता राजा
की बामादास ढोली
गगन को ढोलम। अविकाराम
तम सुनी शब्दम
तच्च नामिक नमो
नमः।। त्रेता युगे
मध्ये महेंद्र नाम
राजा महेंद्र त
नाम राजा को
बिदिपाल दास ढोली
काष्ट को ढोलम
अविकार ।। कलयुग
मध्ये बीर विक्रमजीत
राजा बीर विक्रम
अगवान दास ढोली
अस तत्र को
ढोल वस्त्र को
शब्दम तच्च नामिक
नमो नमः ।।
इति चार युग
को ढोल बजायते। अथ
चार वेद बजायते। प्रथम
ऋषि वेदम च
ऋषि राजा च
ब्राह्मण उतपते ऋषि वेद
च वंश निर्माता
रिषि। रिषि
च पढ़ते वेदं
पूर्व दिशा रिषि
वेदं हन्स तथा
प्रथमं च रिषि
वेद बजायते ।।
द्वितीये याजुर वेदा। दक्षिणे च थ भवेतु भूत
प्रति हरता तेजस्य
विष्णु वेद च
युजुर वेद भवेत्
ब्राह्मण यजुर्वेद सदैव यजुर्वेद
बजायते दक्षिण दिशा नमोस्तुते
।। तृतीया सामवेद
च श्याम रूपी
नारायण पश्चिम दिशा जित
बजन्ता ता ता
नन्ता तच्च बजायते
तृतीये वेद सर्व
श्याम रूद्र नाम
बजायते। चतुर्थ अथरवण वेद
च उत्तर श्रये
काम्पितो उत्तरै पंचदेवता पंचनाम
परमेश्वर सुमंगल बमन च
उल्ति पुलती तक
तालिका घंटा घुंघुर
च वेद बाजितै
इंद्र।। इति चार
वेद बजायते।
अथ शंकर
वेद बोले रे
गुनिजनम गगन शंकर
मध्ये त्रियो ज्योति
अपव्रट कहावा अठार वारे
वणसापति लेनवासि कही ढोली
की ढोल की
उत्पति ।। फलम
-फलम श्रकसे मलम
परथमे को देवता
कस्य पुत्र भयो
।। ईश्वरोवाच ।।
अरे आवजी परथमे
जलसूना का रम
नही धरति नही
आकास सर्वत्रे धं
धं कारम तै
दिन की उतपति
बोलिजा रे आवजी। पार्वतीयवाच
।। अरे गुनिजनम
परथमे निराकार निरंकार
से भयो साकार
जलथल जल में
भया अंड अण्ड
फटि उपाईले नौखंड
निराकार आदि गुसाई
जी ने ब्रह्माण्डमलीक
ब्रह्मा उपायो अंगमलोक विष्णु
उपायो भौम मलिक
श्रीनाथ उपायो वाव मलिक
मलिक पार्वती उपाई
आदि गोसाई जी
पृथ्वी रचिले। सात स्वर्ग
सात पातळ। स्वर्ग थापिले राजा
इन्द्रः पातळ थापिले
राजा बासुकी तब
उपायो कूरम करम
ऊपरी पृथ्वी उठाई
तब थापिले तेतीस
करोड़ देवता। तब महादेव
जी ने पार्वतीले
सोल श्रृंगार बत्तीस
आभूषण पहराइक नाच
बनायो छई राग
छतीस रागण अड़तालीस
राग तुत्रले छतीस
बाजेत्र बजाये। सोला सौ
गोपिगने श्री कृष्णजी
आये छतीस बाजेव
पृथ्वी में उपाये।।
अरे आवजी छत्तीस
बाजेत्र बोलिजे
अरे आवजी छतीस
बाजेंत्र बोलिजे Iओम प्रथमे
I जिव्हा बाजत्र बाजे २
शंख, ३ जाम,
४ ताल, ५
डंवर ६ जंत्र
७ किंगरी ८
डंड़ी ९ न्क्फेरा
१० सिणाई ११
बीन १२ बंसरी
१३ मुरली १४
विणाई १५ बिमली
१६ सितार १७
खिजरी १८ बेण
१९ सारंगी २०
मृदंग २१ तबला
२२ हुडकी २३
डफड़ी २४ श्रेरी
२५ बरंग (२६
से ३१ का
वृत्तांत नही
है ) ३२ रणडोंरु
३३ श्राणे ३४
नगारा ३५ रेटि
(रौंटळ/रौंटी) ३६ ढोल
II इति
ढोल उत्पति बोलिजे
रे आवजी II करिबना
कठिन चन्द्र बिना
दाताररघुपति जजर फुलम
स्याम फुलं जैगंधी
नाम अर बल
छाया अरत परत
संज्या गुनि हो
गंधबर माल घोपिरस
भीरुदूत चोबि फनू
साख बोमंदे देवता
बड़ा हश्ती गंगा
पात्र पचंडे को
देवता अरे आवजी
अगवान बोलिजे। पैलि
धरती की आकास। पैलि
स्त्री की पुरुष।
पैलि रात की
दिन। पैलि गुरु
की चेला। पैलि
धूत की सिक।
पैलि माई की
पूत। कौन नाम
असगर लिन्या
कौन नाम फसगर
लिन्या II ईश्वरोवाच II परथमे धरती पीछे
आकास II परथमे स्त्री पीछे
पुरुष। पैले
रात पीची दिन। पैले
गुरु पीछे चेला। पैले
सिक पीछे धूत।
पैले माई पीछे
पूत। अरे गुनिजनम
महादेव जी ने
असगर लिन्या विष्णु
जी ने नारायण
परखंड चढ़ाई तकस्य
पुत्रगजाबलम IIअरे कुण्डली
वसना IIपार्वत्युवाचII अरे
गुनीजनम गजाबलम गनारपति पुत्रंच
आदि नामकंडीसणा सुरतनाम
कुंडली वसना। सुनहो ब्रह्माजी सदाशिव
जटामुकुटम शारदाकामस टकीटिइक जहिरा
का खंड ब्रह्माण्ड। कहो
गुनीजनम शारदा विचारम। सवता
डीत पंत हो
विष्णु। नव खंड
ब्रह्माण्ड चार विचारम
। बारा
वाजी त शारदा
नौखंडम चैव II ईश्वरोवाच
II सुन रे वादी
विवादी कहाँ बैठे
तेरी अष्ट अंगुल
आत्मा जीऊ। आदि नवाति
अनादि नवाति पनावति
आसण तेरो कौन
ठौऊ। कहाँ स्वर्ग
इंद्र। कहाँ
पाताल वासुकी। कहाँ
गुरु तुमारा II पार्वत्युवाच
II अरे आवजी बुंदकार
बसे बादी बिबादी सुनकार बैठी
मेरी आत्मा जिऊ।
आदि नवाति पृथ्वी
अनादि नवाति आसण
आसण मेरो गुणठाऊं। गुणठाई
से प्रक्षत राजा
इंद्र पातले जात
बासुकी राज कहाँते।
मनेच्छा काया निरंजन
हमारी नाऊँ हम
जल में प्रकट
इष्ट घड़ी बिना
जोड़ी बिना मढ़ी।
फजरीमड़ी द श
य रा ली
गो स मां
ई पू फु
मे धे म
मि ग ध कौन उपाई।
ईश्वरोवाच। अरे
गुनीजन बिन पौन
हमारी मड़ी अ
र द स हु र
लि गो मेथरम
समीजी स्यामी में
धे गंगा जो
पौन उपाई। पार्वत्युवाच। कौन
घट माता कौन
घट पिता कौन
घट बोलिजो छाजा II जो
दिन आफु शम्भु
निरंजन उतपन तै
दिन दुनिया मा
क्या बाजन्ति बाजा II ईश्वरोवाच II अरे
गुनीजनम घटमाता अनिलघट पिता
अनिलघट बोलिजे छाजा। जै दिन
शंभु निरंजन उत्पन्न
भयो तै दिन
दुनिया त्रिभुवन में परथमे
जियो बाजेत्र बजे। अथ चा
र चका चासणे
लिख्यते। पार्वत्युवाच। चह
चह चह चस
चस चस चस
चासण बाजी सत्तगुरुजी
ने उपाया ओंकार
तुम कौन गुरु
पढ़ाया। तुमसे
ज्ञान उपाऊँ रैदास
किन मुख बोले
चास। अरे गुनीजन
ऊँकार च मुष
चास घासणी बाजी
त्रि ख टि
त्रि खटि भेण
सुरत्य किरणि भानु मुख
वा माता सुख
बाजी चासणी। चस मेरी
गजामुखबाजन्ति बारामुखबाजन्ति बारबेलवाले। च
स चंद सूर्य
दीपक बाजी वेद
पुराण बाजे। जुग
चार रात दिन
दुई कथम बाजी
धुरम कुरम पाताल
बाजे श्रिष्टि संसार।
च ह चार
खूंट बाजन्ति। चह
चोद्ध् भुवन बाजन्ति
च ह धुरम
तीन बार बाजन्ति। च
ह गढ़ चावरंगी
बाजन्ति। चह बाजन्ति
मेरु मंडिल बावन
बीर। चह चंदन
को सारंग जमौली
मरु तो मंदिरम
सागरा सप्त द्वीप
वसुंधरा। चह
कुरुक्षेत्र बाजन्ति। च
ह चार जुग
बाजन्ति। चह चौरासी
लक्ष जीवन बाजन्ति
चार वेद बाजन्ति
कालदंडबाजन्ति। गजा शब्द
बाजन्तिघटा घुंगरू नकतालु को
धोका पीछे। चावर
छत्रडंडक मण्डलु डांडी घोड़ा
पीछे में अगवान
दास आग.
समाप्त
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