बुधवार, 10 अक्तूबर 2018

ककड़ी : जिसमें समायी हैं पहाड़ियों की यादें

     
         कड़ी अपणा घर गौं कि ककड़ी जीन हम चोर भी बणौं, जीन हम थै गाळि भि खलैं पर फिर भि हम थै वा बौत प्यारि छै। हर पहाड़ी कि ककड़ी दगण कुछ खास याद जुड़ि ह्वेली। आवा आज घसेरी दगड़ इनि खास यादु थै कि ताजा कर दौं। 
             ककड़ी चा पिंपरी ह्वा या खरस्याणा पिंगळु यि सब्या हमरि यादु क पिटारम समईं छन। जरा वे दिन थै याद कारदि जब ककड़ी क लगुला पर पिंगला फूल ऐन। वै दिन बटै बधें जांदि छै एक आस। अब ककड़ी लगलि अर इथगा स्वच्छदै गिच म पाणि आंद बैठि जांदू छाई। सुबेर उठि दिखदा छाई कि पिंपरी लगि छा या न। जनि पिंपरी दिखेंदी छै हम चिल्लाण बैठि जांद छाई ''मां देख पिंपरी लगिग्या'' अर मां तुरंत डंटदि छै, उंगळी न कैर वीं जना। मां थै डैर रैंदि छै कि उंगळी कैरि कि कखि पिंपरी सैड़ि न जा। याद छ तुम थै कि हम द्वीं उंगलौं बीच अंग्वठा डाळि बतांदा छाई कि वखम छ ककड़ी लगीं। पिंपरी जब हर दुसरा दिन बड़ी हूंदि छै त हमरि खुशी भि बडदा जांदि छै। यी पिंपरी एक दिन जब हैरि ककड़ी बण जांद छै त सब्या घर वला मिलि बैठि वींथै खांदा छा। ककड़ी पैलि पिछनै कु हिस्सा थोड़ा कटदा छन अर फिर वैथै बाकि हिस्सा म रगणद छन जब तक कि सफेद झाग नि आ जांदू। ब्वलद छन कि यांसै ककड़ी कु कड़ुपन दूर ह्वेंजांद। लूण दगण ककड़ी खाणौ अपणु अलग हि आनंद छ।



    ककड़ी खाण म मजा औंदु पर ककड़ी चोरी करणौं एक अलग तरौ रोमांच छ। दुसरों कि न अपणि ककड़ी भि चोरी कै खाणि। ककड़ि चोरि करणि भि एक कला छ अर यांक भि कुछ कायदा कानून छा। जनकि चप्पल—जुता पैलि उतार दीणा, फुफसाट ज्यादा नि करणि, कंडली की झसाक चुपचाप कै सैणी। स्कूल जांद दा या गोर चरांद दां पता चैलि जांदू छाई कि कैकि ककड़ी लगीं छ। जब गोट लगदि छै त रात म चोरि कि ककड़ी खाणौं अलग आनंद आंदू छाई। ककड़ी चोरि हूण पर गाळि भी खूब सुणेंदिन अर घारम पिटै भि हूंदा छाई। हर गौं म एक द्वी इना जरूर हूंदा छाई जो ककड़ी चोरि करण म माहिर छा। ब्वनौ मतलब यौछ कि वो ककड़ी चोर क रूप म फेमस हूंदा छाई। भले ब्वलद छन कि चोर गीज़ू कखडी बिटी, बाग गीज़ू बखरी बिटी, पर या बात इक्का दुक्का ककड़ी चोरू पर हि फिट बैठ द। 

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            जैं ककड़ी दगण हमरि इथगा याद जुड़ि छन वींक बारम कुछ औरि बता भि जाण जदौं। हमर पहाड़ै ककड़ी अपणा खास स्वाद क कारण अलग पैचाण रखद। ककड़ी कु वानस्पतिक नाम कुकुमिस सैटिवस छ। हिन्दी म ये खुणि खीरा ब्वलदन। अपणि य ककड़ी गुणों कि खान छ। ककड़ी म 95 प्रतिशत पाणि हूंद। ये मा विटामिन ए, बी, सी अर के खूब पये जांद अर यी वजह छ कि ककड़ी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढांद। ककड़ी पिशाब क रोग दूर करद। ये कि तासीर ठंडी हूंद अर यो पुटगै जलन, पित्त या निंद नि आण जन रोगु म भि फैदा पहुचांद। 
             त कन लगी मी दगण तुमथै ककड़ी स्वाद। जरूर बतायां। तुमरू दगड्या धर्मेन्द्र पंत 

1 टिप्पणी:

  1. अपणा घर गौं कि ककड़ी कु स्वाद शैर म नि मिलुंदु
    भौत अछू लाग ककड़ी कु स्वाद

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