बुधवार, 6 जुलाई 2016

गढ़वाल में धर्मशाला जैसा स्टेडियम बन सकता है रांसी

धर्मशाला के एचपीसीए स्टेडियम जैसा खूबसूरत बनने की सारी संभावनाएं मौजूद हैं पौड़ी के रांसी मैदान में। 
     
    र्मशाला के एचपीसीए क्रिकेट स्टेडियम में जब पहली बार गया तो उसकी खूबसूरती ने वास्तव में मन मोह लिया। सामने हिमाच्छादित हिमालय और उसी की एक पहाड़ी पर निर्मित किया गया स्टेडियम। आसपास की भौगोलिक स्थितियों के अलावा मैदान की हरी घास और बेहद व्यवस्थित पवेलियन और रेस्टोरेंट। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष, पूर्व में बीसीसीआई सचिव और अब बोर्ड के प्रमुख अनुराग ठाकुर के अच्छे प्रयासों का एक खूबसूरत नमूना।
        इस साल गर्मियों में जब पौड़ी के रांसी मैदान पर गया तो धर्मशाला की यादें ताजा हो गयी। पहाड़ी की चोटी पर स्थित मैदान जिसे प्रकृति से भरपूर रंग मिले हैं। दूर पहाड़ियों में अठखेलियां करते बादल और पास में देवदार जैसे वृक्षों की कतार और उनसे वातावरण में फैली शीतलता। वास्तव में रांसी का यह मैदान किसी का भी मन मोह सकता है। अंतर इतना है कि इसे पिछले कई वर्षों से कछुआ चाल से तैयार किया जा रहा है और चार दशक पहले नींव रखे जाने के बावजूद सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ नहीं है। भाई गणेश खुगसाल 'गणी' के साथ जब रांसी मैदान गया तो पहला शब्द मुंह से यही निकला कि 'यह तो गढ़वाल में धर्मशाला जैसा मैदान बन सकता है।' बस रांसी को एक अनुराग ठाकुर की जरूरत है।

रांसी मैदान पर जब मैंने बल्ला थामा तो छोटे बेटे प्रदुल ने एक अच्छी फोटो भी क्लिक कर दी। बाद में गणी भैजी ने भी अपने क्रिकेट कौशल का अच्छा नमूना पेश किया।  

      रांसी मैदान पौड़ी के ऊपर लगभग 7000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। कहा जाता है कि यह एशिया में इतनी अधिक ऊंचाई पर स्थित अकेला स्टेडियम है। हेमवती नंदन बहुगुणा जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब 1974 में उन्होंने इस स्टेडियम की नींव रखी और इसके निर्माण के लिये 12 लाख रूपये मंजूर किये थे। मैदान का निर्माण होने के बाद यहां जिला और राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं का भी आयोजन हुआ। उत्तर प्रदेश सरकार ने हालांकि बाद में मैदान पर ध्यान नहीं दिया जिससे इसकी स्थिति बिगड़ने लगी। मेजर जनरल (सेवानिवृत) भुवन चंद्र खंडूड़ी जब केंद्र में परिवहन मंत्री थे तब उन्होंने अपने सांसद कोष और केंद्र से रांसी मैदान के नवीनीकरण के लिये पैसे दिये थे। इसके बाद उन्होंने उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने पर भी स्टेडियम के विकास के लिये पांच करोड़ रूपये देने की घोषणा की थी। 

      रांसी मैदान पर अब भी निर्माण कार्य चल रहा है लेकिन उसकी गति बेहद धीमी है। देखकर लगता है कि जैसे किसी को भी इस मैदान की चिंता ही नहीं है। उत्तराखंड सरकार चाहे तो इसको एक बड़े मैदान और खूबसूरत स्टेडियम में बदल सकती है। इस तरह के स्टेडियम के निर्माण और उसमें सुविधाएं प्रदान करने से पर्यटकों को भी लुभाया जा सकता है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड यानि बीसीसीआई इस खेल को गांवों में पहुंचाने की बात करता है ताकि अच्छी प्रतिभा उभरकर सामने आ सके। इसके लिये उसे रांसी जैसे मैदानों पर गौर करना होगा। रांसी को अभी एथलेटिक्स या फुटबाल स्टेडियम के तौर पर ​तैयार किया जा रहा है लेकिन इन खेलों के लिये पास में ही स्थित कंडोलिया का मैदान है जिसका नवीनीकरण किया जाना जरूरी है। 

रांसी स्टेडियम में दर्शकों के लिये अभी कुछ भी खास इंतजाम नहीं किये गये हैं। 
     ऐसा लगता है ​कि खूबसूरती तो रांसी के रग रग में भरी है लेकिन उसे सजाने संवारने की जरूरत है। उसे एचपीसीए स्टेडियम की तरह दुल्हन का रूप देने की जरूरत है। बीसीसीआई दस नखरे दिखा सकता है। वह पौड़ी में बड़ा होटल या हवाई पट्टी नहीं होने का बहाना बना सकता है लेकिन हमारी अपनी सरकार तो है। वह चाहे तो रांसी स्टेडियम के​ लिये आदर्श पिता साबित हो सकती है। उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा सकती है। काश कि ऐसा हो पाता। अभी तो मैं गणी भाई का आभार व्यक्त करना चाहूंगा जिन्होंने मुझे रांसी स्टेडियम के दर्शन कराये। मैं इस मैदान पर क्रिकेट खेल रहे उन तीन . चार युवाओं का आभार व्यक्त करना चाहूंगा जिन्होंने मुझे अपने साथ एक खिलाड़ी बनने का मौका दिया। मैं अब कह सकता हूं कि रांसी मैदान पर बल्ला मैंने भी घुमाया और मैंने भी गेंदबाजी की है। उम्मीद यही है कि एक दिन रांसी भी एचपीसीए जैसा खूबसूरत स्टेडियम बनेगा और तब मैं अपने पोते . पोतियों को बड़े शान से बताऊंगा कि 'इस मैदान पर तो मैंने भी क्रिकेट खेली है।' आपका धर्मेन्द्र पंत

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