.... राजेश राय ....
देहरादून के सबसे रमणीक स्थलों में से एक है गुच्चुपानी यानि रोवर्स केव। सभी फोटो..राजेश राय। |
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में यूं तो कई दर्शनीय और रमणीक स्थल हैं लेकिन पिछले दिनों जब मैं पहली बार इस शहर में गया तो मुझे सबसे दिलचस्प और रोमांचक 'रोवर्स केव' लगी जिसे यहां गुच्चुपानी के नाम से जाना जाता है। मैं देहरादून रेड बुल कैंपस क्रिकेट वर्ल्ड फाइनल्स को कवर करने गया था। सफर के दौरान अपने ड्राइवर विक्की से पूछा कि क्या यहां आसपास देखने के लिये कोई झरना है तो उसने बताया कि रोवर्स केव देख सकते हो। बस रोवर्स केव देखने चल दिया। वाकई मजा आया।
अपने मित्र धर्मेन्द्र और उनके ब्लॉग 'घसेरी' के जरिये उत्तराखंड के दर्शनीय स्थलों, वहां के इतिहास और संस्कृति के बारे में मुझे लगातार सुनने और पढ़ने को मिलता है। इसलिए जब रोवर्स केव पहुंचा तो तो जेहन में 'घसेरी' आ गयी। तब मुझे लगा कि इस थोड़ी सी 'डरावनी' लेकिन दिल में रोमांच पैदा करने वाली जगह से घसेरी के उन सभी पाठकों को अवगत कराना चाहिए जो अब तक रोवर्स केव नहीं जा पाये। तो फिर देर किस बात की है आइये मेरे साथ चलिए रोवर्स केव यानि गुच्चुपानी।
रोवर्स केव में लेखक राजेश राय |
यह लगभग 600 मीटर लंबी गुफा या यूं कहें कि प्रकृति प्रदत्त दरार है जिसमें अंदर जाया जा सकता है। इसमें घुटनों के नीचे तक पानी रहता है। इसके दोनों तरफ चूना पत्थर की चट्टानें हैं जिनमें कई जगह सुराखों से पानी रिसता है। पानी इतना साफ है कि चमचमाता शीशा भी शरमा जाए। इसमें नीचे नीचे छोटे छोटे पत्थर भी साफ दिखायी देते हैं। चट्टानों के ऊपर जंगल है। बीच में किसी किले के दीवार की संरचना है जो अब टूट गया है।
पानी का बहाव तेज है। गुफा के कोने पर जाकर एक जगह पर ज्यादा तेजी से पानी गिरता दिखायी देता है लेकिन वहां तक जाने के लिये झुक कर जाना पड़ता है। मैंने कई उत्साही लड़कों उस झरने में नहाते देखा। उस झरने के ऊपर चढ़कर पीछे की तरफ जाने का रास्ता है। जहां लगभग दस मीटर की ऊंचाई से झरना गिरता है लेकिन मैं पीछे की तरफ नहीं जा पाया हालांकि कई लोग उस तरफ जा रहे थे।
गुफा की शुरुआत में छोटी सी जगह पर खाने पीने की दुकानें हैं। उसके सामने पानी के बीच में टेबल कुर्सियां लगी हैं जहां लोग बैठकर खाते पीते हैं। देखने में दिलचस्प लगता है पानी में बैठकर खाना पीना। साथ में चप्पलों को किराये पर देने वाले लोगों का धंधा भी चलता रहता है। दस . दस रूपये में चप्पलें किराये पर दी जाती हैं। यानि चप्पलें किराये पर देकर भी कमाई की जा सकती है। इन सबके बीच सुरक्षा की कमी जरूर लगती है जबकि यह सुंदर पर्यटन स्थल है। पानी में चलना अद्भुत अहसास है लेकिन कुछ लोग साफ सुथरे पानी में भी गंदगी छोड़ देते हैं। पानी की बोतलें, चिप्स के पैकेट जो कतई गवारा नहीं है। विशेषकर युवाओं को इस पर खास ध्यान देना चाहिए।
कैसे नाम पड़ा रोवर्स केव
रोवर्स केव नाम सुनने पर ही लगता है कि यहां कभी डकैत छिपकर रहते होंगे क्योंकि वहां पहुंचना किसी के लिये भी मुश्किल रहा होगा। बाद में एक मुझे एक जगह पढ़ने को मिला कि वास्तव में डकैती डालने के बाद डकैत यहां छिप जाते थे बौर अंग्रेजों ने इसलिए इसका नाम रोवर्स केव रख दिया। मैंने हालांकि इससे पहले अपने स्थानीय ड्राइवर विक्की से इस गुफा के इतिहास के बारे में पूछा था और उसने अलग कहानी बतायी थी। बकौल विक्की ''देवताओं ने एक राक्षस को इस गुफा में कैद करके उसके आगे पानी की धारा छोड़ी थी।''
गुफा के अंदर का दृश्य |
कैसे जाएं रोवर्स केव
गुच्चुपानी यानि रोवर्स केव देहरादून बस अड्डे से आठ किलोमीटर की दूरी पर है। आप कोई कैब लेकर सीधे वहां जा सकते हैं। छोटी गाड़ियां गुफा के पास तक चली जाती हैं। वहीं पर पार्किंग की व्यवस्था है। बस से भी गुच्चुपानी जाया जा सकता है। बसें अनारवाला गांव तक जाती हैं जिसके बाद लगभग एक किमी की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है जो बहुत आसान है।
अगर आपको गुफाओं की नैसर्गिक सुंदरता, स्वच्छ पानी में चलने और पानी के बीच कुर्सियों में बैठकर भोजन का आनंद लेना है तो आपको मेरी सलाह तो यही रहेगी कि देहरादून जाएं तो रोवर्स केव जाना न भूलें। यहां काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। पानी ठंडा रहता है और इसलिए यहां गर्मियों में अधिक पर्यटक जाते हैं। शहर की दौड़ती भागती जिंदगी से दूर सुकून के कुछ पल यहां बिताये जा सकते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि यहां का अनुभव आपको ताउम्र याद रहेगा।
लेखक के बारे में ......................................
वरिष्ठ पत्रकार राजेश राय पिछले लगभग 25 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़े हैं और वर्तमान समय में समाचार एजेंसी यूनीवार्ता के खेल संपादक हैं। राजेश कलम के खिलाड़ी हैं। खेल पत्रकारिता में उनका कोई सानी नहीं। घुमक्कड़ी स्वभाव के भी हैं। घसेरी का उनके प्रति आभार कि उन्होंने इस ब्लॉग के पाठकों को देहरादून के एक रोमांचक स्थल से अवगत कराया।