औली प्राकृतिक सुंदरता का गढ़ है। दूर से निहारता नंदादेवी पर्वत इसकी सुंदरता में चार चांद लगाता है। |
मैंने स्विट्जरलैंड नहीं देखा है लेकिन उसके बारे में पढ़ा और सुना है। मैंने औली देखा है, उसे महसूस किया है, उसे जिया है। औली में सिर्फ दो दिन बिताने के बाद लग गया कि ऊंचे और मनोरम पर्वतों की गोद में बसा यह स्थान स्विट्जरलैंड के कुछ दर्शनीय स्थलों की बराबरी कर सकता है। इसके गोरसौं, ताली और चित्रकांठा बुग्याल को यदि सही तरह से व्यवस्थित और विकसित किया जाए तो स्विट्जरलैंड के रूतली घास के मैदान जिस तरह से पर्यटकों को अपनी तरफ खींचते हैं, उसी तरह से ये ये भी लोगों के लिये आकर्षण का केंद्र होंगे। असल में औली को अब तक स्कीइंग के लिये अधिक प्रचार मिला और जो लोग स्की का शौक नहीं रखते वह इस पर गौर नहीं करते। इस बीच 2011 में पहले सैफ शीतकालीन खेलों का आयोजन यहां होने से इस धारणा को बल मिला कि औली स्की प्रेमियों के लिये बना है। सचाई तो यह है कि औली ऊंची पहाड़ियों पर बसा खूबसूरत स्थल है। यदि आपको पहाड़ों और उसकी मनोहारी छटाओं का आनंद लेना है तो एक बार औली आइए।
कृत्रिम झील |
औली का इतिहास
उत्तराखंड बनने से पहले तक औली एक सामान्य जगह थी लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसे विकसित किया गया है। औली को रामायण काल से भी जोड़ा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार लंका में युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण मूर्छित हो गये तो हनुमान को संजीवनी लेने के लिये कैलाश पर्वत आना पड़ा। इस बीच उन्होंने थोड़े समय के लिये औली में विश्राम किया। इसलिए यहां हनुमान का मंदिर भी बना हुआ है। इसके साथ ही कहा जाता है कि आठवीं सदी में शंकराचार्य भी आकर औली में रूके थे। बहरहाल अब औली को तीर्थ स्थल नहीं बल्कि पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है और इसका काफी श्रेय गढ़वाल मंडल विकास निगम को जाता है जिसने यहां खूबसूरत रिसार्ट बनाने के अलावा रोपवे, चेयरकार और स्कीइंग की सुविधा भी मुहैया करायी है।
कैसे और कब जाएं औली
चार किमी लंबी रोपवे और लगभग 800 मीटर की चेयरकार रोमांचित करते हैं |
औली में कभी ऐसे हालात होते हैं कि तीन महीने तक बर्फ ही जमी रहती है। तब इसका तापमान शून्य भी नीचे चला जाता है। जून में स्थिति आदर्श होती है। तापमान दस से 15 डिग्री तक रहता है। गढ़वाल मंडल विकास निगम के औली स्थित रिसार्ट के मैनेजर मदन सिंह पंवार के शब्दों में, ''औली को असल में अब तक वैसा प्रचार नहीं मिला, जैसा मिलना चाहिए था। औली के बारे में लोगों को अपनी धारणा बदलने की जरूरत है। यहां नवंबर से मार्च तक चारों तरफ बर्फ ही बर्फ बिखरी होती है। यह स्कीइंग के लिये आदर्श स्थिति होती है लेकिन अगर आपने बुग्याल और इसकी अन्य जगहों का लुत्फ उठाना है तो अप्रैल से जून तक का समय आदर्श होता है। ''
जोशीमठ से औली तक रोपवे से जाया जा सकता है लेकिन मुझे यह महंगा सौदा लगा। अगर आपने गढ़वाल मंडल विकास निगम के औली स्थित स्की रिसार्ट में ठहरना है तो फिर रोपवे से जाना आपको और अधिक महंगा पड़ेगा। जोशीमठ से औली तक रोपवे में जाने से आप कई नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं। इसके लिये प्रति व्यक्ति 750 रूपये का खर्च आता है। इसके बाद चेयर कार से स्की रिसार्ट में आना पड़ेगा जिसके लिये अलग से 300 रूपये चुकाने पड़ेंगे। गढ़वाली होने के कारण मुझे जोशीमठ में ही किसी ने सलाह दे दी कि मैं टैक्सी से औली तक जाऊं और फिर चेयरकार से ऊपर प्वाइंट नंबर आठ पर पहुंचकर ट्रेकिंग पर निकलूं। मुझे चंदन नेगी के रूप में भरोसेमंद ड्राइवर भी मिल गया जिसने मुझे 500 रूपये लेकर औली तक पहुंचाया। स्की रिसार्ट में ठहरने की बेहतरीन व्यवस्था है। उसके रेस्टोरेंट में आपको बढ़िया खाना भी मिल जाएगा। मेरे, अंजू, प्रांजल और प्रदुल चारों के लिये चेयरकार का सफर वास्तव में रोमांचक था। चेयरकार प्वाइंट आठ तक जाती है जबकि जोशीमठ से आप रोपवे से सीधे प्वाइंट दस तक जा सकते हो। इन दोनों प्वाइंट के बीच में कृत्रिम झील है। प्वाइंट दस की ऊंचाई 10,200 फीट यानि लगभग 3100 मीटर है।
गोरसौं, ताली और चित्रकांठा बुग्याल मन मोह लेते हैं |
धर्मेन्द्र पंत
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अत्यंत रोचक वर्णन किया है आपने । औली जाने वालों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है यह जानकारी ।
जवाब देंहटाएंगोपेश्वर ..अगर रिसिकेश से श्रीनगर आओ फिर टूवर्ड अल्मोडा यात्रा करो तो देव प्रयाग कर्ण प्रयाग आयेंगे..वहां से एक रास्ता अल्मोडा की ओर चला जायेगा..बीच में वह जगह पडेगी जहां पहले उत्तराखंड की राजधानी प्रस्तावित थी..फिर ग्वालदम..फिर टूवर्ड अल्मोडा..
जवाब देंहटाएंइस सफर में आप अगर गोेपेश्वर को मुड जांय कर्णप्रयाग से तो पंचमहाश्वर भी मिलेंगे और ओली भी..यह स्कीइंग का प्वाइंट है..उत्तराखंड में वैसा ही जैसा जे एण्ड के में कई जगह..
सच हमारा पहाड़ स्वर्ग से कम नहीं है...लेकिन आजकल दारु ने बट्टा लगा दिया हैं .